Chhattisgarh Millets Mission Yojana : छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन योजना – छत्तीसगढ़ सरकार ने कोदो, कुटकी और रागी का वैज्ञानिक तरीके से उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ चालू किया हैं ।
Table of Contents
Chhattisgarh Millets Mission Yojana : छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन योजना
मिलेट क्या है ?
- मिलेट क्या है ?: मोटे अनाज वाली फसलों जैसे ज्वार, सावां, कंगनी, चीना, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मिलेट फसल कहा जाता है।
- मिलेट्स को सुपर फूड कहा जाता है, क्योंकि इनमें पोषक तत्व अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट क्रॉप वर्ष घोषित किया है। संयुक्त राष्ट्र (UNO) की ओर से यह कदम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल के बाद उठाया गया है।
मिलेट मिशन: छत्तीसगढ़ में सेहत और समृद्धि की नई पहल
कई पीढ़ियों से भारतीय खान-पान का अहम हिस्सा रहे मिलेट्स कब थाली से गायब हो गए पता ही नहीं चला। मिलेट्स की पौष्टिकता और उसके फायदों को देखते हुए फिर से उसका महत्व लोगों तक पहुंचाने की कोशिश सरकारों द्वारा की जा रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट ईयर के रूप में मनाया जा रहा है। सामान्यतः मोटे अनाज वाली फसलों जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, सावां, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मिलेट क्रॉप कहा जाता है। मिलेट्स को सुपर फूड भी माना जाता है, क्योंकि इनमें पोषक तत्व अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होते हैं।
छत्तीसगढ़ की बात करें तो मिलेट्स यहां के आदिवासी समुदाय के दैनिक आहार का पारंपरिक रूप से अहम हिस्सा रहे हैं। आज भी बस्तर में रागी का माड़िया पेज बचे चाव से पिया जाता है। छत्तीसगढ़ के वनांचलों में मिलेट्स की खेती भी भरपूर होती है। इसे देखते हुए मोटे अनाजों के उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर मिलेट मिशन चलाया जा रहा है।
मिलेट मिशन की शुरुआत
10 सितंबर, 2021 मिलेट
छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन
छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में मिलेट्स को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी और रागी का ना सिर्फ समर्थन मूल्य घोषित किया गया, अपितु समर्थन मूल्य पर खरीदी भी की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से प्रदेश में कोदो, कुटकी एंव रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर उपार्जन किया जा रहा है। इस पहल से छत्तीसगढ़ में मिलेट्स का रकबा डेढ़ गुना बढ़ा है और उत्पादन भी बढ़ा है।
मिलेट्स मिशन का उद्देश्य
- कोदो, कुटकी और रागी के उत्पादन में वृद्धि कर किसानों की आय में वृद्धि करना हैं।
- किसानो को छोटी अनाज व फसलों के लिए उचित मूल्य दर प्रदान करना ।
- बच्चों, महिलाओं तथा नागरिकों के लिए पोषक आहार की उपलब्धता बढ़ाना और कुपोषण की समस्या को कम करना ।
- छत्तीसगढ़ में शुरू हुए मिलेट मिशन का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में मिलेट (कोदो, कुटकी, रागी, ज्वार इत्यादि) की खेती के साथ-साथ मिलेट के प्रसंस्करण को बढ़ावा देना है। इसके अतिरिक्त दैनिक आहार में मिलेट्स के उपयोग को प्रोत्साहित कर कुपोषण दूर करना है। प्रदेश में आंगनबाड़ी और मिड-डे मील में भी मिलेट्स को शामिल किया गया है। स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील में मिलेट्स से बनने वाले व्यंजन परोसे जा रहे है। इनमें मिलेट्स से बनी कुकीज, लड्डू और सोया चिक्की जैसे व्यंजनों को शामिल किया गया है।
प्रमुख बिन्दु
- मिलेट उत्पादन (कोदो, कुटकी और रागी) में इनपुट सब्सिडी देने वाला छत्तीसगढ़ देश का एक मात्र राज्य हैं।
- मिशन का मुख्य फोकस: बस्तर और आदिवासी अंचल के जिलों में ।
- इस मिशन के तहत कोदो, कुटकी और रागी उत्पादन वाले गांवों में छोटी-छोटी प्रसंस्करण इकाईयां लगाई जाएंगी और पैकेजिंग की इकाईयां स्थापित की जाएंगी।
- मिलेट्स की खपत और बढ़ाने के लिए गढ़कलेवा के व्यंजनों की सूची में कोदो, कुटकी और रागी से तैयार व्यंजनों को भी शामिल किया जाएगा।
- कोदो-कुटकी की फसल लेने वाले किसानों को प्रति एकड़ 9,000 रुपए और धान के बदले कोदो-कुटकी की फसल लेने वाले किसानों को 10,000 रूपए प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है।
- राज्य सरकार ने ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ में कोदो-कुटकी और रागी की फसलों को शामिल कर इनके लिये इनपुट सब्सिडी देने का भी प्रावधान किया गया है।
- राज्य सरकार ने मिलेट मिशन के लिए 170 करोड़ 30 लाख रुपयों (आगामी 5 वर्षों के लिए) का प्रबंध किया हैं।
प्रथम चरण
- इस मिशन के प्रथम चरण में छत्तीसगढ़ के 14 जिलों को शामिल किया गया है :
- बस्तर संभाग से 07 जिले: कांकेर, कोण्डागांव, बस्तर, दांतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा ।
- दुर्ग संभाग से 02 जिले : कवर्धा, राजनांदगांव |
- बिलासपुर संभाग से 01 जिले : गौरेला-पेंड्रा – मरवाही ।
- सरगुजा संभाग से 04 जिले बलरामपुर, कोरिया, सूरजपुर और जशपुर ।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
- वर्तमान में छत्तीसगढ़ के 20 जिलों में मिलेट फसलों का उत्पादन होता हैं।
- 1. छत्तीसगढ़ सरकार ने मिलेट मिशन के माध्यम से वर्ष 2023 तक छत्तीसगढ़ को देश में मिलेट हब के रूप में पहचान बनाने का लक्ष्य रखा है।
- छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है, जहां कोदो, कुटकी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इसके वैल्यू एडिशन का काम भी किया जा रहा है।
कोदो-कुटकी की समर्थन मूल्य पर 3000 प्रति क्विंटल की दर से तथा रागी की खरीदी 3377 रूपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी की जा रही है।
- वर्ष 2021-22 में राज्य के 11 जिलों के 171 कृषकों द्वारा 3089 क्विंटल प्रमाणित बीज का उत्पादन किया गया, जिसे बीज निगम ने 4150 रूपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों से क्रय कर उन्हें एक करोड़ 28 लाख 18 हजार रूपए से अधिक की राशि भुगतान किया है।
- वर्तमान में राज्य में कोदो कुटकी तथा रागी का रकबा एक लाख 88 हजार हेक्टेयर हैं।
- सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन के तहत मिलेट की उत्पादकता को प्रति एकड़ 9 क्विंटल यानि दोगुना किए जाने का भी लक्ष्य रखा गया है। इसके पूर्व यह लक्ष्य प्रति एकड़ 4.5 क्विंटल था।
- अब राज्यमें संजीवनी हर्बल के नाम से मिलेट मिशन में बने उत्पाद बिकेंगे।
- छत्तीसगढ़ के 20 जिलों के 85 विकास खण्डों में मिलेट्स का उत्पादन होता है।
- बस्तर, सरगुजा, कवर्धा और राजनांदगांव में लघु धान्य फसलों के सीड बैंक स्थापित किए जाएंगे।
मिलेट मिशन को राष्ट्रीय स्तर का पोषक अनाज अवार्ड
- गौरतलब है कि मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य को राष्ट्रीय स्तर का पोषक अनाज अवार्ड 2022 सम्मान भी मिल चुका है। राज्य में मिलेट्स उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसको राजीव गांधी किसान न्याय योजना में शामिल किया गया है।
- छत्तीसगढ़ में मिलेट्स की खेती के लिए राज्य को राष्ट्रीय स्तर का पोषक अनाज अवार्ड 2022 सम्मान भी मिल चुका है। मिलेट मिशन के चलते राज्य में कोदो, कुटकी और रागी (मिलेट्स) की खेती को लेकर किसानों का रूझान बहुत तेजी से बढ़ा है। पहले औने-पौने दाम में बिकने वाला मिलेट्स अब छत्तीसगढ़ राज्य में अच्छे दामों में बिकने लगा है। बीते एक सालों में प्रमाणित बीज उत्पादक किसानों की संख्या में लगभग 5 गुना और इससे होने वाली आय में चार गुना की वृद्धि हुई है।
छत्तीसगढ़ मिलेट कार्निवाल 2023
Chhattisgarh’s First Millet Carnival, which held from the 17th to the 19th of February 2023 at Subhash Stadium.
छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ, IIMR, छत्तीसगढ़ शासन और छत्तीसगढ़ हर्बल्स द्वारा 17-19 फरवरी 2023 तक सुभाष स्टेडियम में आयोजित “छत्तीसगढ़ मिलेट कार्निवाल” का शुभारंभ माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा किया गया।
कार्निवाल में मिलेट फूड कोर्ट में मिलेट के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद उठाने के साथ साथ यहां मिलेट स्टार्ट-अप द्वारा पैकेज्ड मिलेट उत्पादों को भी देख सकते है। इस कार्निवाल में देश के चर्चित शेफ मिलेट द्वारा नए-नए स्वादिष्ट व्यंजन बनाना भी सिखाएंगे। इस कार्निवाल के शुभारंभ के दौरान वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर, राज्य गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष श्री कुलदीप जुनेजा, महापौर श्री एजाज ढेबर भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
मिलेट्स का सबसे बड़ा प्रोसेसिंग प्लांट
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के नथिया-नवागांव में मिलेट्स का सबसे बड़ा प्रोसेसिंग प्लांट भी स्थापित किया जा चुका है, जो कि एशिया की सबसे बड़ी मिलेट्स प्रसंस्करण इकाई है। अब तक राज्य के 10 जिलों में 12 लघु मिलेट प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित किए जा चुके हैैं। गौठानों में विकसित किए जा रहे रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में मिलेट्स प्रोसेसिंग प्लांट लगाए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में मिलेट्स
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में मिलेट्स से बने व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए दोपहर भोज का भी आयोजन किया जा चुका है।
मोबाईल मिलेट कैफे ’मिलेट ऑन व्हील्स
रायगढ़ जिले के खरसिया में बीते दिनों प्रदेश के पहले मोबाईल मिलेट कैफे ’मिलेट ऑन व्हील्स का शुभारंभ भी किया है। मोबाइल कैफे का संचालन करने वाली महिला समूह ने महज 8 महीनों में कैफे की मासिक आमदनी 3 लाख रूपये को पार कर गयी है। इस चलते फिरते मिलेट कैफे में रागी का चीला, डोसा, मिलेट्स पराठा, इडली, मिलेट्स मंचूरियन, पिज्जा, कोदो की बिरयानी और कुकीज जैसे लजीज व्यंजन परोसे जा रहे हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों, फूड ब्लॉगर्स और युवाओं की यह पहली पसंद बन गए हैं।
छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन का लक्ष्य
प्रदेश में कोदो, कुटकी और रागी की खेती का रकबा 69 हजार हेक्टेयर से बढ़कर एक लाख 88 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। मिलेट उत्पादक किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ भी दिया जा रहा है। इस किसानों को भी 9000 रूपए प्रति एकड़ की मान से आदान सहायता दी जा रही है।
आईआईएमआर हैदराबाद के साथ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रयास से मिलेट मिशन के अंतर्गत त्रिपक्षीय एमओयू भी हो चुका है। छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन के तहत मिलेट की उत्पादकता को दोगुना किए जाने का भी लक्ष्य रखा गया है।
मिलेट आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन
सीएसआईडीसी ने मिलेट आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ चुंनिदा ब्लॉक में भूमि, संयंत्र एवं उपकरण पर 50 प्रतिशत सब्सिडी की योजना पेश की है। उम्मीद है कि पीढ़ियों से हमारे स्वाद और सेहत का खजाना रहे मिलेट्स का स्वस्थ जीवन शैली के लिए महत्व को लोग समझेंगे और एक बार फिर यह हमारी दैनिक जीवन का हिस्सा होगा।
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